23 May 2009

आशा की किरन

एक आशा की किरन लेके आयी थी जिंदगी
रोज सुनहरा सवाल लेके आयी थी जिंदगी.

खुद को बीछडकर पहेली बन कर दौडते थे
जैसे भीडमे अकेलापन लेके आयी थी जिंदगी.

अंधरे तलाश कर झुलफो में चहेरे छुपे थे
जैसे अनकही बातें लेके आयी थी जिंदगी.

कारवां बनकर कोइ आज हमसफर चले थे
जैसे सितारों की भीड लेके आयी थी जिंदगी.

कांति वाछाणी

2 comments:

  1. is achhi aur pyari rachna k liye badhai

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  2. एक आशा की किरन लेके आयी थी जिंदगी
    रोज सुनहरा सवाल लेके आयी थी जिंदगी.


    कारवां बनकर कोइ आज हमसफर चले थे
    जैसे सितारों की भीड लेके आयी थी जिंदगी

    ye zidgi kayo ai????

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