एक आशा की किरन लेके आयी थी जिंदगी
रोज सुनहरा सवाल लेके आयी थी जिंदगी.
खुद को बीछडकर पहेली बन कर दौडते थे
जैसे भीडमे अकेलापन लेके आयी थी जिंदगी.
अंधरे तलाश कर झुलफो में चहेरे छुपे थे
जैसे अनकही बातें लेके आयी थी जिंदगी.
कारवां बनकर कोइ आज हमसफर चले थे
जैसे सितारों की भीड लेके आयी थी जिंदगी.
कांति वाछाणी
is achhi aur pyari rachna k liye badhai
ReplyDeleteएक आशा की किरन लेके आयी थी जिंदगी
ReplyDeleteरोज सुनहरा सवाल लेके आयी थी जिंदगी.
कारवां बनकर कोइ आज हमसफर चले थे
जैसे सितारों की भीड लेके आयी थी जिंदगी
ye zidgi kayo ai????