પુરૂષાર્થ
07 January 2011
ये मधुशाला
मस्ती से भरा था ये प्याला
आज पीया कल की ज्वाला,
दोस्त, आखीर क्या कर दाला
मुजे क्यो दिखाया ये मधुशाला ?
- कांति वाछाणी ५-१-२०११
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